मीडिया मिशन था, है और आगे भी मिशन ही रहेगा : प्रो. संजय द्विवेदी

Rashtriya Shikhar
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“Media was, is, and will continue to be a mission” : Prof. Sanjay Dwivedi IMAGE CREDIT TO Professor Sanjay Dwivedi Profile

नई दिल्ली/आबू रोड (शिखर समाचार) ब्रह्मकुमारीज के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय में चल रहे राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन के दौरान आयोजित विशेष संवाद सत्र में भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि यह धारणा बिल्कुल निराधार है कि पत्रकारिता पहले मिशन थी और अब केवल एक पेशा बनकर रह गई है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि समय चाहे कितना भी बदल जाए, किसी भी विधा के मूल सिद्धांत और मूल्य कभी नहीं बदलते। कुछ लोग यदि रास्ते से भटक भी जाते हैं तो उससे पत्रकारिता की मूल्यनिष्ठ परंपरा समाप्त नहीं होती।

सेवा की जमीनी सच्चाई: प्रो. द्विवेदी का पत्रकारिता पर मिशन और संवेदनशीलता का संदेश

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टीवी पत्रकार बीके ज्योति से बातचीत में प्रो. द्विवेदी ने कहा कि चिकित्सा, शिक्षा और मीडिया जैसे क्षेत्र महज़ पेशा नहीं बल्कि मूल रूप से सेवा और मिशन की भावना से जुड़े हुए हैं। बाजार की सोच और व्यावसायिक दबाव चाहे जैसे भी हों, संवेदनशीलता, जनहित और राष्ट्रीय हित ही पत्रकारिता की असली पहचान बने रहेंगे।

उन्होंने कहा कि आज़ादी की लड़ाई के समय जो मूल्य भारतीय पत्रकारिता की आत्मा बने, वही आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं। मीडिया का ध्येय सिर्फ सूचना देना नहीं बल्कि समाज के लिए मार्गदर्शन करना और लोकमंगल की भावना को जीवित रखना है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि लोकहित और लोकमंगल ही किसी भी विधा की कसौटी हैं और इसी में उसकी सार्थकता निहित है।

सच्चा स्वराज तभी, जब जुड़ें भाषा, संस्कृति और पत्रकारिता का मिशन

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प्रो. द्विवेदी ने यह भी रेखांकित किया कि वास्तविक स्वराज का सपना अभी अधूरा है। हमारा देश राजनीतिक रूप से भले ही स्वतंत्र हो गया हो, लेकिन सच्चे अर्थों में स्वराज तभी स्थापित होगा जब भारतीय भाषाओं, संस्कृति, वेशभूषा और स्वशासन की पद्धतियों को पूरा सम्मान मिलेगा। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता का कर्तव्य केवल खबर पहुँचाना नहीं बल्कि समाज को अपनी जड़ों से जोड़ना और राष्ट्रीय चेतना को सशक्त बनाना भी है।

उन्होंने माना कि कुछ लोग मीडिया को केवल व्यापार या करियर का जरिया मानते हैं, लेकिन इससे पत्रकारिता का असली स्वरूप नहीं बदलता। उन्होंने साफ कहा कि मीडिया मिशन था, है और आगे भी मिशन ही रहेगा। मूल्य और सिद्धांत कभी समाप्त नहीं होते, बस उन्हें समझने और निभाने की आवश्यकता होती है।

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