बिजनौर प्रदर्शनी में नृत्यांजलि का संगम, लोक-संस्कृति और शास्त्रीय धरोहर से सजी शाम, मोदी जन्मदिन व विश्वकर्मा जयंती पर ‘पालिका दर्पण’ का विमोचन

Rashtriya Shikhar
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At the Bijnor exhibition, a confluence of "Nrityanjali" took place, with an evening adorned by folk culture and classical heritage IMAGE CREDIT TO NAGAR PALIKA

बिजनौर (शिखर समाचार) नगर पालिका परिषद बिजनौर की ओर से चल रही जिला कृषि, औद्योगिक एवं सांस्कृतिक प्रदर्शनी का गत रात्रि सांस्कृतिक रंगों से सराबोर रहा। इंदिरा बाल भवन का सभागार तब तालियों की गूंज से थर्रा उठा जब देश के कोने-कोने से आए कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को भावविभोर कर दिया। नृत्यांजलि शीर्षक से आयोजित इस कार्यक्रम ने बिजनौर की सांस्कृतिक फिज़ा को एक नई पहचान दी।

दीप प्रज्वलन से शुरू हुआ भव्य समारोह, कई दिग्गज नेताओं ने बढ़ाई शोभा

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कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सतेंद्र सिसौदिया ने दीप प्रज्वलन से किया। मंच पर भाजपा जिलाध्यक्ष भूपेंद्र चौहान बॉबी, जिला पंचायत अध्यक्ष साकेंद्र प्रताप सिंह, नगर पालिका अध्यक्ष इंदिरा सिंह, नूरपुर चेयरमैन डॉ. एम.पी. सिंह, झालू चेयरमैन लोकेंद्र चौधरी, वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. बीरबल सिंह, ब्लॉक प्रमुख तपराज सिंह देशवाल, ईओ नगर पालिका विकास कुमार और पूर्व ब्लॉक प्रमुख विनोद राठी सहित कई विशिष्ट अतिथियों की मौजूदगी ने समारोह की गरिमा को और बढ़ाया।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस और विश्वकर्मा जयंती के उपलक्ष्य में पालिका परिषद द्वारा प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका पालिका दर्पण का विमोचन किया गया। जैसे ही विमोचन की औपचारिकता पूरी हुई, वैसे ही सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की रंगारंग झड़ी शुरू हो गई।

दो घंटे का सांस्कृतिक सफर: देशभर के लोकनृत्यों ने मोह लिया हर दिल

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लगातार दो घंटे तक चले इस कार्यक्रम में दर्शकों को मणिपुर के पारंपरिक नृत्य, मिजोरम की झूमर लय, उड़ीसा की ओडिसी कला, राजस्थान के घूमर की छटा, कश्मीर की रौशनियां और उत्तर प्रदेश के लोकगीतों पर थिरकते कदमों का ऐसा समागम देखने को मिला, जिसने हर किसी को रोमांचित कर दिया। मंच पर जब कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी तो दर्शकों की तालियां थमने का नाम नहीं ले रही थीं।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. वीरेंद कुमार ने संभाला, जबकि प्रसिद्ध लेखक व संस्कृतिकर्मी राहुल नील ने नृत्यांजलि की पृष्ठभूमि और प्रस्तुतियों के सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कलाकारों को मंच पर आमंत्रित किया। आयोजन को सफल बनाने में संयोजक सौरभ सिंघल व अरुण कुमार बिद्ध तथा कार्यक्रम अध्यक्ष सभासद दीपक गर्ग मोनू और सचिन गुप्ता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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इंदिरा बाल भवन का मंच भारत की सांस्कृतिक विविधता का ऐसा दर्पण बन गया, जिसमें हर प्रस्तुति के साथ दर्शकों ने एक नए प्रदेश की संस्कृति को महसूस किया। यह आयोजन न केवल कला और मनोरंजन का अद्भुत संगम साबित हुआ बल्कि भारतीय परंपरा और लोकधरोहर की अनमोल झलक भी पेश कर गया।

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