बहादुरगढ़ में आरम्भ का खेल महाकुंभ, नन्हें खिलाड़ियों ने दिखाया हुनर

Rashtriya Shikhar
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Aarambh Sports Mahakumbh begins in Bahadurgarh, young athletes showcase their talent IMAGE CREDIT TO Sanskriti School

बहादुरगढ़ (शिखर समाचार) ब्रिगेडियर होशियार सिंह स्टेडियम रविवार को खिलखिलाहट और जोश से भर उठा, जब आरम्भ नामक युवा प्रेरित पहल ने ग्रामीण और वंचित बच्चों की प्रतिभा को मंच देने के लिए बहु-खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया। यह आयोजन संस्कृति स्कूल नई दिल्ली की कक्षा 12 की छात्रा आरना राजवंशी की सोच का नतीजा है, जिन्होंने बच्चों को समान अवसर दिलाने की दिशा में यह कदम उठाया। प्रतियोगिता का संचालन केएचएम हैप्पी चाइल्ड सीनियर सेकेंडरी स्कूल के सहयोग से किया गया।

दीप प्रज्ज्वलन से शुरू हुई प्रतियोगिता, सौ से अधिक खिलाड़ियों ने दिखाया हुनर

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स्थानीय विधायक राजेश जून ने दीप प्रज्ज्वलित कर प्रतियोगिता की शुरुआत की। मैदान पर एथलेटिक्स, कबड्डी, फुटबॉल और कुश्ती जैसे खेलों में करीब सौ से अधिक बच्चों ने दमखम दिखाया। कई खिलाड़ी बहादुरगढ़ के आसपास के गांवों और क्लबों से आए थे। आयोजन समिति की अगुवाई स्कूल सोसाइटी अध्यक्ष रमेश चंद्र और सचिव जोगिंदर भगत ने की, जबकि विद्यालय के प्राचार्य विजेंदर छिल्लर और उप-प्राचार्य अनिल सहवाग ने व्यवस्थाओं पर बारीकी से नज़र रखी। सभी बच्चों को निःशुल्क पंजीकरण, भोजन, खेल सामग्री, टी-शर्ट और कैप उपलब्ध कराए गए, ताकि किसी भी प्रतिभागी को आर्थिक कठिनाई आड़े न आए।

खेलों का रोमांच उस समय और बढ़ गया जब अनुभवी कोचों ने खिलाड़ियों का प्रदर्शन परखा और कई होनहार बच्चों को आगे नियमित प्रशिक्षण और मार्गदर्शन के लिए चुना। खास बात यह रही कि चयनित खिलाड़ियों में अधिकांश संख्या लड़कियों की रही। समापन अवसर पर विजयी टीमों को ट्रॉफी और सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान कर उत्साहवर्धन किया गया।

गांव की प्रतिभाओं को मंच देने का प्रयास, बच्चों को अपनी कहानी खुद लिखने का संदेश

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मुख्य अतिथि विधायक राजेश जून ने कहा कि प्रतिभा कभी अनुपस्थित नहीं होती, बस उसे पहचानने की जरूरत होती है। आरम्भ ने आज यह साबित किया है कि गांवों की धरती में छुपे रत्नों को भी चमकने का अवसर मिलना चाहिए।

वहीं, इस पहल की सूत्रधार आरना राजवंशी ने कहा कि खेल बच्चों के भविष्य को नया मोड़ देने की ताकत रखता है, हम यहां उन्हें वह ताकत सौंपने आए हैं जिससे वे अपनी कहानी खुद लिख सकें।

दिन ढलते-ढलते पदक और ट्रॉफियां तो समेट दी गईं, लेकिन बच्चों की आंखों में नए सपनों की चमक बरकरार रही। यह दिन उनके लिए अंत नहीं बल्कि सचमुच एक आरम्भ था एक नई शुरुआत, एक नए भविष्य की ओर बढ़ता कदम।

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