नई दिल्ली ( शिखर समाचार)
स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (DHR) और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने गुरुवार को सुषमा स्वराज भवन में दो दिवसीय क्षेत्रीय बैठक की शुरुआत की। सार्वजनिक स्वास्थ्य में स्वास्थ्य अनुसंधान और नवाचार: अनुसंधान प्लेटफॉर्म पर श्रेष्ठ कार्य प्रणालियों का आदान-प्रदान विषय पर आधारित इस बैठक में नेपाल, श्रीलंका, भूटान और तिमोर-लेस्ते के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस मंच का उद्देश्य दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में स्वास्थ्य अनुसंधान प्रणालियों को मज़बूत बनाना, श्रेष्ठ कार्य प्रणालियों का आदान-प्रदान करना और सीमा-पार सहयोग को प्रोत्साहित करना है।
संयुक्त प्रयास से सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में तेजी लाने का आह्वान: नीति आयोग के डॉ. वी.के. पॉल
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल ने अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे लिए एक-दूसरे से सीखने, अनुसंधान उत्पादों का सह-निर्माण करने और विज्ञान को क्रियान्वित करने की अपार संभावनाएं हैं। यदि हम संयुक्त रूप से काम करें, तो पूरे क्षेत्र में सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में प्रगति को गति दे सकते हैं।
इस अवसर पर आईसीएमआर महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा कि स्वास्थ्य चुनौतियां सभी देशों में लगभग समान हैं और अब समय आ गया है कि क्षेत्र अपनी दिशा खुद तय करे। उन्होंने ज़ोर दिया कि अनुसंधान ही आगे बढ़ने का मार्ग है और साझा अनुभवों से मजबूत प्रणालियां तैयार की जा सकती हैं।
स्वास्थ्य चुनौतियों पर वैश्विक संवाद, बुनियादी ढांचे और क्षमता निर्माण में निरंतर निवेश की जरूरत पर जोर
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बैठक में शामिल प्रतिनिधियों ने अपने-अपने देशों की स्वास्थ्य चुनौतियों जैसे एनीमिया, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, तपेदिक, वेक्टर जनित रोग और गैर-संचारी रोगों पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने सरकारों की भूमिका, बुनियादी ढांचे के विस्तार और क्षमता निर्माण में निरंतर निवेश की आवश्यकता को रेखांकित किया।
इस मौके पर डॉ. पॉल ने आईसीएमआर के मेडिकल डिवाइस एंड डायग्नोस्टिक्स मिशन सचिवालय (MDMS) द्वारा समर्थित चिकित्सा नवाचारों की प्रदर्शनी का शुभारंभ भी किया। प्रदर्शनी में भारतीय नवप्रवर्तकों द्वारा विकसित उन उत्पादों और तकनीकों को दर्शाया गया है जो जन स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के समाधान और स्वास्थ्य सेवा को आधुनिक बनाने की दिशा में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
