नोएडा (शिखर समाचार)।
सबवेंशन स्कीम घोटाले की जांच में सीबीआई ने बुधवार को बड़ा कदम उठाया। केंद्रीय जांच एजेंसी की एक टीम दोपहर बाद नोएडा प्राधिकरण के सेक्टर-6 कार्यालय पहुंची और वहां करीब डेढ़ घंटे तक 10 बिल्डरों की परियोजनाओं से जुड़ी अहम जानकारी जुटाई। इनमें सुपरटेक की तीन साइट सहित लॉजिक्स व अन्य ग्रुप हाउसिंग योजनाएं शामिल रहीं। दस्तावेजी पड़ताल के बाद टीम ने कुछ परियोजनाओं का भौतिक निरीक्षण भी किया।
सबवेंशन घोटाला : CBI ने जुटाए दस्तावेज, साइटों पर पहुंची टीम
CBI ने बिल्डरों के कंस्ट्रक्शन स्टेटस, फ्लैटों के आवंटन, बकाया भुगतान, जारी किए गए कंप्लीशन व ओसी सर्टिफिकेट सहित तमाम बिंदुओं पर जानकारी ली। प्राधिकरण के ग्रुप हाउसिंग विभाग से इन सूचनाओं को संकलित कर नोटिफाइड किया गया, जिसके बाद टीम अलग-अलग साइटों के लिए रवाना हो गई।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई इस बहुचर्चित सबवेंशन स्कीम घोटाले की जांच कर रही है। हाल ही में एजेंसी ने दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद समेत कई स्थानों पर छापेमारी कर दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए थे। उसी कड़ी में बुधवार को यह निरीक्षण किया गया।
2014 में शुरू हुई थी सबवेंशन स्कीम, बिल्डर-बैंक मिलीभगत से हजारों खरीदार बने डिफॉल्टर
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2014 में शुरू हुई थी सबवेंशन स्कीम, बैंकों और बिल्डरों की मिलीभगत से हुआ था खेल
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 2014 के आसपास सबवेंशन स्कीम के तहत बिल्डरों ने ग्रुप हाउसिंग योजनाएं शुरू की थीं। स्कीम के तहत तय हुआ था कि फ्लैट का कब्जा मिलने तक ईएमआई का भुगतान बिल्डर करेगा। लेकिन जमीनी हकीकत अलग निकली।
बिल्डरों ने कथित तौर पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैंकों से लोन मंजूर कराए और बिना निर्माण के ही पूरी रकम हासिल कर ली। इसके लिए बैंकों और बिल्डरों के बीच अघोषित समझौते की बात भी सामने आई है। कुछ समय बाद बिल्डरों ने ईएमआई देना बंद कर दिया, फ्लैट भी नहीं सौंपे, और पूरी जिम्मेदारी खरीदारों पर आ गई। नतीजा यह हुआ कि हजारों खरीदार डिफॉल्टर बन गए और कई बिल्डर दिवालिया घोषित हो गए।

अब सीबीआई इस पूरे मामले की तह में जाकर यह जानने की कोशिश कर रही है कि किस स्तर पर लापरवाही या मिलीभगत हुई, और कौन-कौन लोग इस घोटाले में शामिल रहे।