गढ़मुक्तेश्वर (शिखर समाचार)।
श्रावण मास के अंतिम सोमवार को तीर्थनगरी ब्रजघाट की धरती शिवभक्तों की जयघोष और कांवड़ के रंग में रंगी नजर आई। गंगा तट पर आस्था का ऐसा सैलाब उमड़ा, मानो स्वयं भोलेनाथ के दरबार में आमंत्रण हो। रविवार रात से ही हजारों की तादाद में कांवड़िए ब्रजघाट पहुंचने लगे थे और सोमवार भोर होते-होते यह संख्या एक लाख के पार जा पहुंची।
श्रावण मास की अंतिम सोमवारी पर ब्रजघाट में गंगा तट पर आस्था की भव्य झलक, शिवभक्तों की उमड़ी भारी भीड़
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, अमरोहा, संभल, बदायूं सहित पश्चिमी अंचलों से आए शिवभक्तों ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर कांवरों में पावन जल भरा और फिर पूरे जोश व श्रद्धा के साथ अपने-अपने शिवधामों की ओर रवाना हो गए। हर ओर बोल बम और हर हर महादेव की गूंज वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार कर रही थी।
श्रावण मास के अंतिम सोमवार के जलाभिषेक के लिए तीन दिन पूर्व से ही ब्रजघाट पर श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था। गंगा तट की पगडंडियों से लेकर राष्ट्रीय राजमार्गों तक शिवभक्तों की लंबी कतारें देखने को मिलीं। युवा, वृद्ध, महिलाएं और यहां तक कि बच्चे भी कांवर उठाए गंगाजल भरने की होड़ में शामिल दिखे।
प्रशासन की चौकसी और सुरक्षा प्रबंधों से कांवड़ यात्रा सुचारू और सुरक्षित बनी
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कांवड़ियों की भारी भीड़ को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने विशेष प्रबंध किए। जिलाधिकारी अभिषेक पांडेय, एसपी कुंवर ज्ञानंजय सिंह, एडीएम संदीप कुमार, एएसपी विनीत भटनागर, सीओ वरुण मिश्रा व कोतवाली प्रभारी नीरज कुमार समेत प्रशासनिक अमला खुद मैदान में उतरा और हर गतिविधि पर निगरानी बनाए रखी।
सुरक्षा के लिहाज से भारी वाहनों का रूट डायवर्ट कर दिया गया ताकि कांवड़ मार्गों पर कोई जाम या अवरोध न हो। जगह-जगह पुलिस बल, स्वास्थ्य शिविर, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, जलपान और विश्रामस्थल जैसी व्यवस्थाएं भी की गई थीं।
श्रावण मास की अंतिम सोमवारी पर ब्रजघाट: आस्था और भक्ति का अद्भुत संगम
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श्रावण मास के इस अंतिम सोमवार को ब्रजघाट का नज़ारा किसी धार्मिक मेले से कम नहीं था। यहां पहुंचा हर भक्त भोलेनाथ की कृपा में डूबा हुआ दिखा। कांवरिए गंगा जल लेकर अपने गांव-शहर के शिवालयों की ओर बढ़ चले और पीछे छूट गई गंगा तट की वो तस्वीर, जो आस्था और उत्साह की जीती-जागती मिसाल बन गई।
श्रावण की अंतिम सोमवारी ने ब्रजघाट को भक्ति की नई परिभाषा दी, जहां एक ओर श्रद्धा का सैलाब था, वहीं प्रशासन की सतर्कता ने व्यवस्था को सधे हाथों से संभाले रखा।
