माउंट आबू (शिखर समाचार) डिजिटल दुनिया में तेजी से बढ़ती भागीदारी और सोशल मीडिया के प्रभाव को समझने की दिशा में एक अहम पहल करते हुए भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) जम्मू के सहायक प्राध्यापक डॉ. विनीत उत्पल की पुस्तक सोशल मीडिया: परिभाषा, सिद्धांत एवं प्रयोग का लोकार्पण माउंट आबू में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में किया गया। यह अवसर ब्रह्माकुमारीज द्वारा आयोजित पांच दिवसीय सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर रिट्रीट के दूसरे दिन सामने आया, जहां देशभर के सोशल मीडिया विशेषज्ञ, शिक्षक व छात्र जुटे।
डिजिटल युग की समझ को गहराई देती पुस्तक का आध्यात्मिक व गरिमामयी अनावरण
पुस्तक का अनावरण ब्रह्माकुमारीज संस्थान की वरिष्ठ राजयोगिनी बीके जयंती दीदी, आईआईएमसी के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी, जनसंपर्क अधिकारी बीके कोमल, बीके पल्लवी तथा मुंबई विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर ई.वी. स्वामीनाथन की उपस्थिति में हुआ। इस मौके पर डॉ. उत्पल को सम्मानित भी किया गया।
राजयोगिनी बीके जयंती दीदी ने लेखक को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जिस दौर में सोशल मीडिया जीवन का हिस्सा बन चुका है, उस समय ऐसी किताब का सामने आना ज्ञान को दिशा देने जैसा है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक किताब नहीं बल्कि डिजिटल युग की गंभीर व्याख्या है।
सोशल मीडिया पर हिंदी की पहली गंभीर कृति: विद्यार्थियों और प्रोफेशनलों के लिए उपयोगी मार्गदर्शन
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इस अवसर पर प्रो. संजय द्विवेदी ने पुस्तक को हिंदी में सोशल मीडिया पर केंद्रित अपनी तरह की पहली गंभीर अकादमिक कृति बताया। उन्होंने कहा कि लंबे समय से सोशल मीडिया को लेकर हिंदी में एक समग्र पुस्तक की आवश्यकता महसूस की जा रही थी, जो अब इस प्रयास के रूप में पूरी हुई है। यह न सिर्फ पत्रकारिता के छात्रों, बल्कि सोशल मीडिया पर काम कर रहे सभी लोगों के लिए उपयोगी होगी।
जनसंपर्क अधिकारी बीके कोमल ने भी इसे मीडिया के छात्रों के लिए मार्गदर्शक पुस्तक बताया और कहा कि स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक, यह पुस्तक विद्यार्थियों को विषय की गहराई से परिचित कराएगी।
शोध, तैयारी और पाठ्यक्रम के लिए उपयोगी: सोशल मीडिया पर केंद्रित एक समग्र टेक्स्टबुक
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लेखक डॉ. विनीत उत्पल ने बताया कि यह पुस्तक पूरी तरह टेक्स्टबुक के स्वरूप में तैयार की गई है, जिसमें सोशल मीडिया से जुड़े सैद्धांतिक पहलुओं के साथ-साथ फेक न्यूज़, मीडिया ट्रायल, संबंधित कानूनों का विश्लेषण और व्यावहारिक उदाहरण भी शामिल हैं। इसमें 800 ऑब्जेक्टिव और 500 सब्जेक्टिव प्रश्नों के माध्यम से पाठकों को विषय के विविध आयामों से जोड़ने का प्रयास किया गया है। यह किताब उन छात्रों के लिए भी सहायक होगी जो नेट-जेआरएफ या अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।
यह पुस्तक अमेजन पर ऑनलाइन उपलब्ध है और देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाए जा रहे सोशल मीडिया पाठ्यक्रमों के लिए एक मानक संदर्भ ग्रंथ बन सकती है। रिट्रीट में भाग लेने आए सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों, शिक्षकों और छात्रों ने पुस्तक को लेकर उत्साह और जिज्ञासा जताई, जिससे यह साफ हो गया कि यह कृति आने वाले समय में डिजिटल मीडिया की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
