गढ़मुक्तेश्वर (शिखर समाचार)
सावन के आगमन के साथ ही गढ़मुक्तेश्वर की पावन धरती पर शिवभक्ति की बयार कुछ यूं बहने लगी है कि हर ओर हर-हर महादेव के स्वर गूंजने लगे हैं। तीर्थराज ब्रजघाट से लेकर गढ़ के प्राचीन मंदिरों तक श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा है। कांवड़ियों की टोलियां गंगाजल से भरी कांवड़ उठाए, नंगे पांव, बोल-बम के जयघोष करते हुए गंतव्य की ओर बढ़ रही हैं, वहीं समाजसेवी संगठनों से लेकर प्रशासन तक सभी सेवा और व्यवस्था में तन-मन से जुटे हुए हैं।
श्रावण मास में गढ़ क्षेत्र के प्राचीन शिवालयों में भक्ति और आस्था का उल्लास
गढ़ क्षेत्र के ऐतिहासिक मंदिरों की महिमा ही कुछ ऐसी है कि श्रावण मास में यहां की आस्था और भक्ति विशेष रूप से प्रकट होती है। किवदंती है कि राजा शिवि ने इसी क्षेत्र में अपने जीवन का अंतिम काल शिव आराधना में व्यतीत किया था, जबकि श्रापित राजा नहुष का उद्धार भी यहीं महादेव मंदिर की भूमि पर हुआ था। इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के कारण ही गढ़मुक्तेश्वर को शिवबल्लभपुरम के नाम से भी जाना जाता रहा है।
हरिद्वार और गौमुख से जल लेकर चले शिवभक्तों का रेला नक्का कुआं महादेव मंदिर, कल्याणेश्वर महादेव (कल्याणपुर) और भूतेश्वरनाथ मंदिर (दत्तियाना) जैसे प्राचीन शिवालयों में जलाभिषेक के लिए पहुंच रहा है। वहीं ब्रजघाट से जल भरने वाले श्रद्धालु गाजियाबाद, दिल्ली, मेरठ, मुरादाबाद, बदायूं, अमरोहा, बुलंदशहर और अन्य जिलों की ओर बढ़ रहे हैं। इन मार्गों पर भक्तों के स्वागत और सेवा हेतु जगह-जगह भंडारे, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र और विश्राम शिविर सक्रिय हैं।
गढ़ क्षेत्र के प्राचीन शिवालय: श्रावण मास में आस्था का अद्भुत संगम
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कांवड़ यात्रा के निर्बाध संचालन हेतु जिला प्रशासन ने व्यापक तैयारियां की हैं। मेरठ मंडल के मंडलायुक्त, एडीजी जोन व पुलिस उपमहानिरीक्षक द्वारा क्षेत्रीय निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का मूल्यांकन किया गया है। जिलाधिकारी अभिषेक पांडेय एवं एसपी कुंवर ज्ञानंजय सिंह मेला क्षेत्र का निरंतर भ्रमण कर सुरक्षा, स्वच्छता और यातायात नियंत्रण की समीक्षा कर रहे हैं। पुलिस बल, पीएसी, होमगार्ड, चिकित्सीय टीमें एवं स्वयंसेवी संगठन समर्पित भाव से सेवामें संलग्न हैं।
गढ़ की संकरी गलियों से लेकर ब्रजघाट की चौड़ी सड़कों तक शिवभक्ति का अद्वितीय दृश्य बिखरा पड़ा है। कहीं डमरू बज रहे हैं, तो कहीं कांवड़ियों को फूलों से नवाजा जा रहा है। यह नजारा केवल एक धार्मिक यात्रा का नहीं, बल्कि एक लोक-आस्था के महासंगम का परिचायक बन गया है, जिसमें श्रद्धा, सेवा और सुरक्षा तीनों एक ही सुर में गूंज रहे हैं।