गाजियाबाद (शिखर समाचार) सावन की पवित्र कांवड़ यात्रा केवल भक्ति का प्रतीक नहीं, बल्कि सेवा, समर्पण और इंसानियत की मिसालें गढ़ने का भी अवसर बन गई है। गाजियाबाद में जहां सुरक्षा व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाए रखने में पुलिस दिन-रात सक्रिय है, वहीं मानवता की तस्वीरें भी इसी व्यवस्था के बीच से उभर कर सामने आ रही हैं। ऐसी ही एक तस्वीर सोमवार को उस समय दिखाई दी, जब क्रॉसिंग रिपब्लिक थाने की प्रभारी प्रीति गर्ग ने कांवड़ सेवा शिविर में पहुंचकर घायल शिवभक्तों की सहायता कर यह जता दिया कि पुलिस का काम केवल कानून व्यवस्था तक सीमित नहीं, बल्कि वह हर पीड़ित के लिए एक भरोसे का नाम भी है।
वर्दी में इंसानियत का जज़्बा: घायल कांवड़ियों के साथ पुलिस अधिकारी का व्यक्तिगत सेवा भाव
सेवा शिविर में जैसे ही उनकी नजर कुछ थके-मांदे और घायल कांवड़ियों पर पड़ी, उन्होंने एक क्षण भी गवाएं बिना न केवल स्वयं घायलों तक पहुंच बनाई, बल्कि मौके पर मौजूद स्टाफ को भी सक्रिय करते हुए प्राथमिक उपचार और हरसंभव मदद दिलाने की पहल की। यह नज़ारा केवल एक अधिकारी के कर्तव्य की पूर्ति नहीं थी, बल्कि मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा हुआ वह दृश्य था, जिसने मौके पर मौजूद हर व्यक्ति को भावुक कर दिया।
शिवभक्तों ने जब देखा कि वर्दीधारी अधिकारी उनके पैरों के पास बैठकर हालचाल पूछ रही हैं और उपचार में व्यक्तिगत रुचि ले रही हैं, तो उनके मुख से आभार और आशीर्वाद एकसाथ निकल पड़ा। कांवड़ियों ने गाजियाबाद पुलिस की इस संवेदनशीलता को यादगार बताते हुए कहा कि ऐसे अधिकारियों की मौजूदगी न केवल व्यवस्था को मजबूत करती है, बल्कि लोगों के दिलों में पुलिस के प्रति सम्मान और विश्वास भी गहरा करती है।
प्रशासनिक सेवा में नया आदर्श: थाना प्रभारी प्रीति गर्ग की समर्पित पहल ने कांवड़ यात्रा को बनाया सामाजिक उत्सव
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स्थानीय शिविर आयोजकों और सेवाभावियों ने भी थाना प्रभारी प्रीति गर्ग की इस भूमिका को सलाम करते हुए कहा कि वह अपने कार्य से परे जाकर जो कर रही हैं, वह एक उदाहरण है ऐसा उदाहरण जिसे लंबे समय तक याद रखा जाएगा। सावधानी, संवेदना और समर्पण के साथ की गई यह पहल आने वाले समय में प्रशासनिक सेवाओं की दिशा और दृष्टि दोनों को प्रेरित कर सकती है।
गाजियाबाद पुलिस की यह मानवीय पहल कांवड़ यात्रा जैसे विशाल आयोजन को केवल धार्मिक यात्रा नहीं रहने देती, बल्कि इसे एक सामाजिक समरसता और सेवा भाव का उत्सव बना देती है।
