रबूपुरा/ग्रेटर नोएडा (शिखर समाचार)
कस्बा रबूपुरा के मोहल्ला मीणा ठाकुरान स्थित धर्मशाला रविवार को भक्ति और श्रद्धा के रंगों में रंगी नजर आई। श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन प्रसिद्ध कथा वाचक उमानंद शास्त्री ने भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण के जन्म प्रसंग को जीवंत रूप में प्रस्तुत कर श्रोताओं को अध्यात्म के गहरे सागर में डुबो दिया।
त्रेता से द्वापर तक की यात्रा: श्रीराम और श्रीकृष्ण जन्म प्रसंगों से गूंजा कथा स्थल, भाव-विभोर हुए श्रद्धालु
कथा के आरंभ में शास्त्री जी ने त्रेतायुग की उस पुण्य बेला को स्मरण कराया, जब अयोध्या नगरी में महाराज दशरथ और महारानी कौशल्या के आंगन में प्रभु श्रीराम का प्राकट्य हुआ। उन्होंने कहा कि भगवान राम केवल राजा नहीं थे, वे उस आदर्श की पराकाष्ठा थे, जिन्होंने अपने जीवन के हर पल से मानवता, धर्म और मर्यादा की नींव को मजबूत किया।
इसके बाद कथा ने करवट ली और द्वापरयुग की ओर बढ़ी, जहां मथुरा के बंदीगृह में आधी रात को वासुदेव-देवकी की गोद में भगवान श्रीकृष्ण अवतरित हुए। शास्त्री जी ने भक्तिभाव से कहा कि जन्म भले ही कारागार में हुआ, लेकिन लालन-पालन गोकुल की गलियों में यशोदा मैया की ममता में हुआ। कंस के भय से वासुदेव जी ने नवजात कृष्ण को टोकरी में रखकर यमुना पार कर नंदबाबा के घर पहुंचाया यही क्षण इतिहास में नंदोत्सव बन गया।
जय श्रीराम और जय कन्हैया लाल की गूंज से गुंजा कथा स्थल, भक्तिरस में डूबे श्रद्धालु हुए भावविभोर
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पूरे कथा स्थल पर जय श्रीराम और जय कन्हैया लाल की के उद्घोष गूंजते रहे। श्रद्धालु भावविभोर होकर कथा की हर बात को आत्मसात करते रहे। कथा के दौरान एक ओर प्रभु की मर्यादा का वर्णन हुआ, तो दूसरी ओर उनके बाल रूप की लीलाओं ने वातावरण को भक्तिरस से सराबोर कर दिया।
इस आध्यात्मिक आयोजन में जसवंत मीणा, हरवीर, जगदीश शर्मा, किरनपाल, धर्मपाल, सरोज देवी, गुड्डी, राखी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे और कथा की दिव्यता में सहभागी बने। धर्मशाला का हर कोना भक्ति की सुगंध से महकता नजर आया।
