मेरठ (शिखर समाचार)
श्रावण मास की गूंज और शिवभक्तों के जयकारों के बीच कांवड़ यात्रा अपने पूरे शबाब पर है। उत्तर भारत की सबसे विशाल धार्मिक यात्राओं में से एक इस वार्षिक कांवड़ यात्रा को लेकर मेरठ प्रशासन ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसी क्रम मे 20 जुलाई को मंडलायुक्त मेरठ और पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) मेरठ ने संयुक्त रूप से हेलीकॉप्टर के माध्यम से कांवड़ मार्ग एवं नहर पटरी का हवाई निरीक्षण किया।
हेलीकॉप्टर सर्वे से कांवड़ियों की सुरक्षा का पूरा ख्याल, बाबा औघड़नाथ मंदिर पर पुष्प वर्षा ने बढ़ाई आस्था की अनुभूति
हेलीकॉप्टर से किए गए इस गहन सर्वेक्षण के दौरान उन्होंने यात्रा मार्ग पर मौजूद सुरक्षा इंतज़ाम, मेडिकल सुविधाएं, जल आपूर्ति, यातायात नियंत्रण, लाइटिंग व्यवस्था और साफ-सफाई की स्थिति को बारीकी से परखा। अधिकारियों ने हवाई नजर से ही नहीं, बल्कि ग्राउंड पर मौजूद तमाम व्यवस्थाओं की स्थिति का लाइव फीडबैक लिया और मौके पर तैनात प्रशासनिक अमले को आवश्यक निर्देश भी दिए ताकि लाखों कांवड़ियों की आस्था से जुड़ा यह पावन आयोजन निर्विघ्न, शांतिपूर्ण और सुचारु रूप से संपन्न हो सके।
इस दौरान एक खास और भावनात्मक क्षण तब आया जब प्रशासन ने श्रद्धा और आस्था को सम्मान देने के लिए बाबा औघड़नाथ मंदिर पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा कराई। मंदिर के ऊपर जैसे ही फूलों की वर्षा शुरू हुई, वहां मौजूद शिवभक्तों के चेहरे खिल उठे और पूरा वातावरण हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज उठा।
प्रशासन की कांवड़ यात्रा में सख्त सुरक्षा व्यवस्था: ड्रोन निगरानी से लेकर आपातकालीन टीम तक, श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि
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मंडलायुक्त और डीआईजी द्वारा किया गया यह संयुक्त निरीक्षण न केवल सुरक्षा और सुगमता की दृष्टि से अहम था, बल्कि यह प्रशासन की संवेदनशीलता और तत्परता का प्रतीक भी रहा। श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए पुलिस और प्रशासन दोनों ही पूरी चौकसी के साथ तैनात हैं। जगह-जगह ड्रोन कैमरे से निगरानी, CCTV कंट्रोल रूम की स्थापना और आपातकालीन रिस्पॉन्स टीम को सक्रिय कर दिया गया है।
प्रशासन का यह संदेश साफ है श्रद्धा के इस सागर में कोई लहर अनियंत्रित नहीं होगी। सब कुछ नियंत्रित, सुरक्षित और श्रद्धा से सराबोर रहेगा।

जनता और भक्तों से अपील की गई है कि वे किसी भी अफवाह से बचें, प्रशासन का सहयोग करें और यात्रा को शांतिपूर्ण ढंग से सफल बनाएं। कांवड़ यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक आत्मा का उत्सव हैजिसमें भक्ति, अनुशासन और सामाजिक समरसता का अद्वितीय संगम देखने को मिलता है।