वाराणसी/नई दिल्ली (शिखर समाचार)
बनारस की आध्यात्मिक गंगा से इस बार एक नई धारा निकली है नशामुक्त भारत की चेतना। केंद्र सरकार के युवा मामले और खेल मंत्रालय ने काशी में विकसित भारत के लिए नशामुक्त युवा विषय पर दो दिवसीय युवा आध्यात्मिक शिखर सम्मेलन का श्रीगणेश किया, जिसमें देशभर के 122 प्रतिष्ठित आध्यात्मिक और सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों से आए 600 से अधिक युवा प्रतिनिधि शामिल हुए।
युवा शक्ति: अमृत काल की सबसे बड़ी ताकत!” — डॉ. मनसुख मांडविया
केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने उद्घाटन सत्र में युवा ऊर्जा को देश की सबसे बड़ी ताकत बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित अमृत काल के पंच प्राण का आधार ही युवा शक्ति है। उन्होंने स्पष्ट किया कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए युवाओं को नशे, मोबाइल की आदत और सोशल मीडिया की रील संस्कृति से दूर रखना होगा। युवा सिर्फ बदलाव के दर्शक नहीं, बल्कि परिवर्तन के वाहक हैं,
डॉ. मांडविया ने मादक द्रव्यों की बढ़ती लत को राष्ट्रीय निर्माण के रास्ते में एक गंभीर रुकावट बताते हुए कहा कि इसे केवल सरकारी योजनाओं से नहीं, जन जागरूकता और सामाजिक नेतृत्व से ही पराजित किया जा सकता है। उन्होंने सभी आध्यात्मिक संगठनों से आग्रह किया कि वे अपने मंचों और समुदायों के माध्यम से युवाओं को नशे के अंधकार से निकालें।
नशा मुक्त भारत के लिए विराट आंदोलन!” — युवाओं को नशे से दूर रखने की मुहिम
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उन्होंने जोर देकर कहा कि यह कोई औपचारिक बैठक नहीं, बल्कि एक आंदोलन की भूमिका है। हर व्यक्ति कम से कम पांच युवाओं को नशे से दूर करने का बीड़ा उठाए, तभी यह एक विराट अभियान बनेगा।
सम्मेलन के अंतिम दिन 20 जुलाई को काशी घोषणा का विमोचन किया जाएगा, जो नशामुक्त भारत के निर्माण के लिए एक नीति-संहिता होगी। यह दस्तावेज युवाओं, नीति निर्माताओं, पुनर्वास कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगा। शिखर सम्मेलन के चार प्रमुख विषयों में मादक पदार्थों की प्रवृत्ति को समझना, नशीली तस्करी की अर्थव्यवस्था को तोड़ना, प्रभावशाली संचार रणनीतियाँ बनाना और दीर्घकालिक संकल्प के साथ 2047 तक नशामुक्त भारत की दिशा में सतत प्रयास शामिल हैं।
