मुंबई/नई दिल्ली (शिखर समाचार)
मुंबई में आज एक ऐतिहासिक क्षण सामने आया जब बौद्धिक अक्षमता से जूझ रहे बच्चों की शिक्षा को एक समान, संगठित और सशक्त रूप देने के उद्देश्य से राष्ट्रीय बौद्धिक दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान (NIEPID) और जय वकील फाउंडेशन (जेवीएफ) के बीच एक महत्त्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के सचिव राजेश अग्रवाल की उपस्थिति में हुए इस करार ने शिक्षा के समावेशी मॉडल की ओर देश को एक निर्णायक मोड़ पर ला खड़ा किया है।
बौद्धिक अक्षमता वाले बच्चों की शिक्षा के लिए NIEPID और जय वकील फाउंडेशन में समझौता
इस साझेदारी के तहत अब पूरे भारत में बौद्धिक अक्षमता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूआईडी) को दिशा पाठ्यक्रम के माध्यम से शिक्षा मिलेगी, जो एक बहुस्तरीय, अनुसंधान-आधारित और बालकेंद्रित मॉडल पर तैयार किया गया है। यह पाठ्यक्रम ना केवल उनके मानसिक और सामाजिक विकास में सहायक होगा, बल्कि शिक्षकों को भी एक सुव्यवस्थित ढांचा देगा जिसमें वे हर बच्चे की विशेष आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षण पद्धतियाँ अपना सकेंगे।
इस अवसर पर बोलते हुए सचिव राजेश अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि न्यूरो-डायवर्सिटी से संबंधित शिक्षा क्षेत्र सबसे संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण है और ऐसे में सरकार ने गैर-सरकारी संगठनों, स्टार्टअप्स और विशेषज्ञ संस्थाओं के साथ सहयोग की नीति को अपनाया है। उन्होंने बताया कि दिशा पाठ्यक्रम को सीडीईआईसी केंद्रों, डीडीआरएस योजनाओं समेत इच्छुक स्कूलों में तत्काल प्रभाव से लागू किया जाएगा और पाठ्य सामग्री एवं प्रशिक्षण बिल्कुल निःशुल्क प्रदान किया जाएगा।
CWID बच्चों की शिक्षा के लिए NIEPID और जय वकील फाउंडेशन के बीच समझौता, Disha curriculum होगा लागू
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श्री अग्रवाल ने यह भी बताया कि सरकार की विकास सुलभ शिक्षण सामग्री (डीएएलएम) योजना, जो अभी तक ब्रेल पुस्तकों तक सीमित थी, अब दिशा पाठ्यक्रम को भी कवर करेगी। इसके तहत हिंदी, अंग्रेज़ी, मराठी सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में पुनःप्रयोज्य पुस्तकें और शिक्षण सामग्री मुहैया कराई जाएंगी, जिससे बच्चों के साथ-साथ उनके शिक्षकों और अभिभावकों को भी घर और स्कूल में सहयोग मिलेगा। शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को और अधिक प्रभावशाली और व्यापक बनाने के लिए उन्हें सीआरई मान्यता भी दी जाएगी।
NIEPID के निदेशक डॉ. बी वी राम कुमार ने दिशा को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में एक व्यवस्थित कदम बताया और इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता दोहराई। वहीं जय वकील फाउंडेशन की सीईओ अर्चना चंद्रा ने इसे एक संवेदनशीलता आधारित शिक्षा की शुरुआत करार दिया, जो हर बच्चे की विशिष्ट क्षमता, जरूरत और रुचि के आधार पर तैयार की गई है।
विशेष बच्चों के लिए एकीकृत और समावेशी शिक्षा मॉडल
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दिशा अभियान 2019 में एनआईईपीआईडी द्वारा प्रमाणित एक ऐसा मॉडल है जो व्यक्तिगत शिक्षा योजनाओं (आईईपी), बहुसंवेदी पाठ्यक्रम, डिजिटल पोर्टल और प्रशिक्षक-प्रशिक्षण ढांचे को एकीकृत करता है। महाराष्ट्र में 453 स्कूलों में सफल कार्यान्वयन के साथ यह मॉडल 18,000 से अधिक बच्चों और 2,600 शिक्षकों तक पहुँच चुका है। इसमें उपयोग की जाने वाली मूल्यांकन चेकलिस्ट बच्चों के विकास के विभिन्न पहलुओं को मापने में मदद करती है, जबकि डिजिटल पोर्टल शिक्षकों को आईईपी रिकॉर्ड करने, मूल्यांकन देखने, रिपोर्ट कार्ड बनाने और डिजिटल पाठ्य सामग्री तक पहुँच की सुविधा देता है।
इस समझौते के साथ भारत शिक्षा के उस मोड़ पर आ खड़ा हुआ है, जहां विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए समान अवसर अब एक अवधारणा नहीं, बल्कि लागू की जाने वाली यथार्थ नीति बनती दिख रही है। दिशा अब केवल एक पाठ्यक्रम नहीं, बल्कि एक ऐसा संकल्प है, जो बौद्धिक अक्षमता से प्रभावित प्रत्येक बच्चे के लिए सीखने का दरवाज़ा खोलता है संवेदना, समानता और सशक्तिकरण की ओर।
