Ghaziabad Nagar Nigam के कांवड़ शिविर का उद्घाटन, बना श्रद्धा और स्वच्छता की मिसाल

Rashtriya Shikhar
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Ghaziabad Nagar Nigam’s Kanwar Camp Sets Example of Devotion and Cleanliness IMAGE CREDIT TO NAGAR NIGAM

गाजियाबाद (शिखर समाचार)
गाजियाबाद में सावन की रफ्तार के साथ श्रद्धा का सैलाब उमड़ा और इसी सैलाब के बीच नगर निगम ने छह दिवसीय कांवड़ शिविर का शुभारंभ करते हुए सेवा, स्वच्छता और समर्पण का अनुपम संगम प्रस्तुत किया। साई उपवन में आयोजित इस शिविर की शुरुआत महापौर सुनीता दयाल, जिलाधिकारी दीपक मीणा और नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक ने संयुक्त रूप से पूजा-अर्चना के साथ की, जहां शिविर में पहुंचे कांवड़ यात्रियों का स्वागत फलाहार और प्रसाद के साथ किया गया।

महापौर का कांवड़ियों के लिए समर्पित सेवा और प्लास्टिक मुक्त शिविर अभियान

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महापौर ने कांवड़ यात्रियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि नगर निगम हर वर्ष की भांति इस बार भी पूरी निष्ठा से सेवा में जुटा है और महिला कांवड़ियों के लिए अलग विश्राम स्थल, स्वच्छ शौचालय व अन्य आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं। साथ ही उन्होंने आयोजन से जुड़े कर्मियों को स्वच्छता और अनुशासन बनाए रखने के सख्त निर्देश दिए।

नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक ने शिविर को पूर्ण रूप से प्लास्टिक मुक्त बनाने की घोषणा करते हुए सभी आयोजन समितियों से अपील की कि वे पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सेवा करें। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक से मुक्ति का यह अभियान सिर्फ शिविर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे एक जन-जागरूकता के रूप में आगे बढ़ाया जाएगा।

जिलाधिकारी की प्रशंसा और साई सेवा ट्रस्ट की समर्पित सेवा

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इस मौके पर जिलाधिकारी दीपक मीना ने कांवड़ियों से संवाद करते हुए नगर निगम टीम की हौसलाफ़ज़ाई की और कहा कि अधिकारी सेवा को सिर्फ दायित्व नहीं, धर्म समझकर निभा रहे हैं। उन्होंने पूजा के उपरांत प्रसाद वितरण किया और शिविर स्थल की व्यवस्थाओं को सराहा।

शिविर की ज़िम्मेदारी साई सेवा ट्रस्ट ने उठाई है, जिसकी टीम पानी, सफाई, चिकित्सा व अन्य ज़रूरतों के प्रबंधन में दिन-रात जुटी है। श्रद्धालुओं के लिए विश्राम से लेकर प्राथमिक उपचार तक की पूरी व्यवस्था जगह-जगह मौजूद है।

गाजियाबाद नगर निगम द्वारा यह शिविर केवल सेवा नहीं, बल्कि श्रद्धा और संवेदनशीलता का ऐसा उदाहरण बन चुका है, जहां व्यवस्था और भावना दोनों साथ-साथ चल रही हैं। इस शिविर ने यह साबित कर दिया है कि जब प्रशासन मन से जुड़े, तो व्यवस्था पूजा बन जाती है।

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