रियो डी जेनेरियो/नई दिल्ली (शिखर समाचार)
ब्राजील में आयोजित 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के अहम सत्र में Prime Minister ने पर्यावरण, सीओपी-30 और वैश्विक स्वास्थ्य जैसे निर्णायक विषयों पर भारत का दृष्टिकोण दुनिया के सामने रखा। इस विशेष सत्र में ब्रिक्स के सदस्य राष्ट्रों के अलावा साझेदार और आमंत्रित देशों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। अपने संबोधन की शुरुआत में प्रधानमंत्री ने ब्राजील को इस ज्वलंत और भविष्य को दिशा देने वाले विषयों पर विमर्श के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि भारत पर्यावरण को केवल ऊर्जा या संसाधनों का विषय नहीं मानता, बल्कि इसे जीवन और प्रकृति के संतुलन का मूल मानता है।
भारत के लिए पर्यावरण सुरक्षा एक नैतिक जिम्मेदारी
Prime Minister Narendra Modi ने ज़ोर देते हुए कहा कि भारत के लिए जलवायु परिवर्तन से निपटना केवल वैज्ञानिक या आर्थिक प्रयास नहीं है, बल्कि यह क्लाइमेट जस्टिस की भावना से प्रेरित एक नैतिक उत्तरदायित्व है। उन्होंने कहा कि भारत नीतियों के बजाय जीवनशैली में परिवर्तन पर विश्वास करता है और “मिशन लाइफ” जैसे अभियानों के ज़रिये धरती और मानवता दोनों की भलाई सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहा है।
वैश्विक साझेदारी के लिए भारत की मजबूत पहल
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अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने भारत द्वारा शुरू की गई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय पहलों जैसे अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई), वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन, इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस और ‘एक पेड़ मां के नाम’ जैसी जनजागरूकता मुहिम का उल्लेख करते हुए बताया कि ये सब मिलकर एक वैश्विक हरित आंदोलन का स्वरूप ले रहे हैं, जो भारत की सोच और नेतृत्व की पुष्टि करते हैं।
जलवायु वित्त और तकनीक हस्तांतरण पर भारत का आह्वान
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प्रधानमंत्री ने विकासशील देशों की आवाज़ बुलंद करते हुए कहा कि पर्यावरणीय संकटों से लड़ने के लिए उन्हें सस्ती तकनीक और न्यायोचित वित्तीय सहायता की आवश्यकता है। उन्होंने ब्रिक्स द्वारा जलवायु वित्त पर फ्रेमवर्क की घोषणा को एक अहम पहल बताया और कहा कि इससे वैश्विक दक्षिण को नई ऊर्जा मिलेगी।
कोविड संकट में भारत की वैश्विक भूमिका
प्रधानमंत्री ने वन अर्थ, वन हेल्थ मंत्र का उल्लेख करते हुए बताया कि भारत ने महामारी के समय दवाओं, टीकों और तकनीकी सहायता के रूप में कई देशों की मदद की और इसी सिद्धांत को आगे बढ़ाते हुए डिजिटल स्वास्थ्य योजनाएं विकसित की हैं, जिन्हें अब अन्य देशों के साथ साझा करने की तत्परता दिखाई जा रही है। उन्होंने BRICS की ओर से सामाजिक निर्धारक रोगों (सोशल्ली डिटरमाइंड डिज़ीज) के उन्मूलन के लिए घोषित साझेदारी का स्वागत करते हुए कहा कि यह वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
प्रधानमंत्री ने ऐलान किया कि भारत अगले वर्ष ब्रिक्स की अध्यक्षता करेगा और इस दौरान ग्लोबल साउथ को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत जन-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ ब्रिक्स को एक नई परिभाषा देगा Building Resilience and Innovation for Cooperation and Sustainability, यानी BRICS अब सहयोग और स्थायित्व के लिए नवाचार और लचीलापन गढ़ने का मंच बनेगा।

सम्मेलन को मिला भारत का समर्थन और सराहना
प्रधानमंत्री ने ब्राजील के राष्ट्रपति लूला और उनकी टीम को इस सफल आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि यह सम्मेलन न केवल विचारों का आदान-प्रदान रहा, बल्कि यह साझा भविष्य के निर्माण की दिशा में एक ठोस कदम भी सिद्ध हुआ है। उन्होंने विश्वास जताया कि BRICS जैसे मंचों से दुनिया को बेहतर, हरित और समावेशी दिशा मिलेगी।