वेंडर्स का रेलवे कैटरिंग कंपनी पर करोड़ों की देनदारी का आरोप, बाउंसरों से डराने-धमकाने का दावा

राष्ट्रीय शिखर
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Vendors owe crores of rupees to railway catering company

नोएडा (शिखर समाचार)
भारतीय रेलवे में खानपान सेवाएं देने वाली अंबुज होटल एंड रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पर अब देशभर के छोटे वेंडर्स का गुस्सा फूट पड़ा है। सोमवार को एमएसएमई वेंडर्स एसोसिएशन ऑफिस इंडिया के बैनर तले जुटे सप्लायर्स ने नोएडा में प्रेस वार्ता कर आरोप लगाया कि कंपनी ने बीते 7-8 महीनों से उनका करोड़ों रुपयों का बकाया रोक रखा है, जिससे उनका कारोबार ठप हो गया है और जीविका पर संकट खड़ा हो गया है।

कई मामलों में तो बाउंसर बुलाकर डराया गया और कुछ सप्लायर्स के साथ मारपीट की

एसोसिएशन के सदस्य सुशील तोमर और अमन गुप्ता ने आरोप लगाया कि नोएडा सेक्टर-6 स्थित कंपनी मुख्यालय में जब सप्लायर्स बकाया मांगने जाते हैं, तो उन्हें मैनेजमेंट की तरफ से ना सिर्फ टालमटोल किया जाता है बल्कि परचेज और अकाउंट विभाग के अधिकारी जानबूझकर धमकी देते हैं। कई मामलों में तो बाउंसर बुलाकर डराया गया और कुछ सप्लायर्स के साथ मारपीट की भी शिकायतें सामने आई हैं।

उन्होंने दावा किया कि करीब 60 ट्रेनों में केटरिंग सेवा दे रही यह कंपनी अपने साथ जुड़े छोटे विक्रेताओं की मेहनत और सप्लाई का पैसा खा रही है। बकाया रकम की कुल राशि करीब 7 से 8 करोड़ रुपये तक बताई गई है। वेंडर्स का कहना है कि इससे उनका कामकाज पूरी तरह चरमरा गया है, घर चलाना भी मुश्किल हो गया है।

अंबुज होटल एंड रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधन ने इन सभी आरोपों को खारिज करते

वहीं अंबुज होटल एंड रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधन ने इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि हम असली वेंडर्स और एमएसएमई का सम्मान करते हैं, लेकिन घटिया गुणवत्ता और मनमानी कीमतों पर दबाव डालने की रणनीति को स्वीकार नहीं करेंगे। कंपनी ने कहा कि सोची-समझी साजिश के तहत बदनाम करने की कोशिश की जा रही है और मानहानि व अनुबंध उल्लंघन के आधार पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

सप्लायर्स ने रेल मंत्री से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए कहा कि अगर जल्द ही उनका बकाया नहीं चुकाया गया, तो वे दिल्ली तक विरोध प्रदर्शन करेंगे और कानूनी मोर्चा भी खोलेंगे। अब सवाल यह है कि क्या छोटे सप्लायर्स की आवाज देश की सबसे बड़ी परिवहन प्रणाली तक पहुंचेगी? या फिर बाउंसरों और दबाव की ताकत के आगे उनकी मेहनत का पैसा यूं ही फंसा रहेगा?

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