बाल साहित्य लिखना मानो किसी और आत्मा में प्रवेश करने जैसा अनुभव : प्रो. संजय द्विवेदी
भोपाल (शिखर समाचार)
हिंदी भवन का माहौल उस समय साहित्यिक ऊर्जा से सराबोर हो उठा, जब मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा दिवंगत ग़ज़लकार एवं बाल साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर अहद प्रकाश की स्मृति में अनहद अहद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में न केवल अहद जी की रचनात्मक विरासत को याद किया गया, बल्कि उनके प्रभाव से जुड़ी संवेदनाओं को भी शब्दों में पिरोया गया।
भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर
भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी ने इस अवसर पर एक बेहद मार्मिक वक्तव्य देते हुए कहा कि बाल साहित्य का लेखन केवल तकनीक नहीं, एक परकाया प्रवेश की प्रक्रिया है। लेखक को अपने भीतर उस बालमन को जीवित करना होता है जो अबोध, सरल और मासूम होता है। अहद जी इस प्रक्रिया में इतने पारंगत थे क्योंकि वे न केवल उत्कृष्ट साहित्यकार थे, बल्कि एक बेहद सुंदर मनुष्य भी थे।
कार्यक्रम में दो प्रतिष्ठित साहित्यकारों को अहद प्रकाश गौरव सम्मान 2025 से नवाज़ा गया। बाल साहित्य में अमिट योगदान के लिए डॉ. मालती बसंत को बाल साहित्य गौरव सम्मान, वहीं हिंदी ग़ज़ल को नई ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए डॉ. अम्बर आबिद को ग़ज़ल गौरव सम्मान प्रदान किया गया।
जबकि अध्यक्षता की निराला सृजन पीठ की निदेशक डॉ. साधना बलवटे ने
इस सम्मान समारोह की गरिमा को मुख्य अतिथि के रूप में लघुकथा शोध केंद्र की निदेशक कान्ता रॉय ने और ऊँचा किया, जबकि अध्यक्षता की निराला सृजन पीठ की निदेशक डॉ. साधना बलवटे ने। दोनों ही विदुषियों ने अपने विचारों में अहद जी के मानवीय पक्ष और बालसुलभ व्यक्तित्व को विशेष रूप से रेखांकित किया।
डॉ. कान्ता रॉय ने कहा कि अहद जी का बाल मन केवल लेखनी तक सीमित नहीं था, वह उनके व्यवहार और रिश्तों में भी झलकता था। आज उन्हें याद करना हमारे लिए सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि एक मूल्यवान अवसर है उनकी विचारधारा से जुड़ने का।
डॉ. साधना बलवटे ने बाल साहित्य को मातृभाषा से जोड़ते हुए कहा कि अहद जी की लेखनी जितनी सहज थी, उतनी ही गहन भी। वे बाल मन को पढ़ने और समझने की एक विलक्षण क्षमता रखते थे, जो आज की पीढ़ी के लिए एक अनुकरणीय प्रेरणा है।
अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करते हुए भावुक कर देने वाले किस्से सुनाए।
कार्यक्रम में डॉ. मालती बसंत ने सम्मान स्वीकार करते हुए अहद जी की एक बाल कविता का भावपूर्ण पाठ किया, वहीं डॉ. अम्बर आबिद ने अहद जी के साथ अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करते हुए भावुक कर देने वाले किस्से सुनाए।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. मौसमी परिहार ने कुशलता से किया और आभार ज्ञापन अहद जी की धर्मपत्नी फरहा अहद ने किया, जिनकी उपस्थिति ने पूरे आयोजन को एक आत्मीय स्पर्श दिया।

इस अवसर पर शहर के कई साहित्यप्रेमियों और लेखकों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को एक सजीव संवाद में बदल दिया। प्रमुख रूप से ऋषि श्रृंगारी, डॉ. मीनू पाण्डेय नयन, राही जी, मृदुल त्यागी, सरवर खान और फलक असद जैसे साहित्यकार मौजूद रहे, जिनकी उपस्थिति ने आयोजन को गरिमा प्रदान की।