डीएवी गांधीनगर दिल्ली में वीर बाल दिवस पर ओजस्वी आयोजन

Rashtriya Shikhar
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DAV Gandhinagar Delhi organised a grand celebration of Veer Bal Diwas IMAGE CREDIT TO SCHOOL

दिल्ली (शिखर समाचार)
डीएवी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय क्रमांक एक गांधीनगर में वीर बाल दिवस के अवसर पर विद्यालय प्रांगण में एक भव्य, गरिमामय एवं प्रेरणादायी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसमें यमुना पार विकास बोर्ड के अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दिल्ली प्रांत के सह बौद्धिक प्रमुख सतीश शर्मा, विद्यालय अध्यक्ष नरेश शर्मा, विद्यालय प्रमुख दिनेश चंद शर्मा तथा अध्यापक प्रतिनिधि सुनील जैन सम्मिलित रहे।

वीरता की अमर गाथा से गूंजा मंच: नन्हे साहिबजादों के बलिदान को भावभीनी श्रद्धांजलि

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कार्यक्रम के आरंभ में विद्यालय के नन्हे विद्यार्थियों ने देशभक्ति से ओत प्रोत गीत कहीं पर्वत झुके भी हैं प्रस्तुत कर समूचे वातावरण को भावनात्मक ऊर्जा से भर दिया। इसके पश्चात मुख्य अतिथि अरविंदर सिंह लवली ने अपने संबोधन में वीर बाल दिवस के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह दिवस गुरु गोविंद सिंह के छोटे साहिबजादों जोरावर सिंह और फतेह सिंह के अद्वितीय साहस, अडिग आस्था और सर्वोच्च बलिदान की स्मृति में मनाया जाता है। अल्पायु में भी धर्म परिवर्तन से इंकार कर उन्होंने जिस वीरता का परिचय दिया, वह भारतीय इतिहास में अद्वितीय है।

उन्होंने बताया कि देश के प्रधानमंत्री द्वारा 9 जनवरी 2022 को गुरु गोविंद सिंह के प्रकाश पर्व के अवसर पर 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई थी, ताकि नई पीढ़ी को साहस, सत्य, ईमानदारी और दृढ़ संकल्प जैसे मूल्यों से जोड़ा जा सके।

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मुख्य वक्ता सतीश शर्मा ने अपने वक्तव्य में 22 दिसंबर के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि इसी तिथि को गुरु गोविंद सिंह, स्वामी विवेकानंद की गुरुमाता शारदा देवी तथा महान गणितज्ञ रामानुज का जन्म हुआ था। उन्होंने खालसा परंपरा की व्याख्या करते हुए कहा कि खालसा का अर्थ शुद्धता से है, जो आध्यात्मिक एवं नैतिक दृढ़ता का प्रतीक है।

इतिहास का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि आनंदपुर साहिब से प्रस्थान के बाद माता गुजरी अपने दो छोटे पौत्रों के साथ मोरिंडा पहुँची थीं, जहां विश्वासघात के कारण उन्हें मुगल अधिकारियों के हवाले कर दिया गया। सरहिंद के ठंडे बुर्ज में कैद किए जाने के बाद 26 दिसंबर 1705 को दोनों साहिबजादों को जीवित दीवार में चुनवा दिया गया। यह समाचार सुनकर अगले ही दिन माता गुजरी ने भी अपने प्राण त्याग दिए। उन्होंने यह भी बताया कि साहिबजादों का अंतिम संस्कार दीवान टोडरमल द्वारा स्वर्ण मुद्राएं बिछाकर खरीदी गई भूमि पर कराया गया, जिसे इतिहास की सबसे महंगी भूमि माना जाता है।
इसके पश्चात सुनील जैन ने महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुज के जीवन और योगदान पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उन्होंने गणितीय विश्लेषण, अनंत श्रेणियां, संख्या सिद्धांत और सतत भिन्न जैसे विषयों में असाधारण कार्य किया। कम उम्र में ही गणित में महारत हासिल करने वाले रामानुज ने हजारों मौलिक सूत्र दिए, जिनकी उपयोगिता आज भी गणित और विज्ञान में बनी हुई है। उनकी जयंती 22 दिसंबर को देशभर में राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाई जाती है। विद्यालय सभागार की साज-सज्जा वसु वर्मा और नेहा गुप्ता द्वारा की गई, जबकि कार्यक्रम का प्रभावशाली मंच संचालन रेणु जोशी ने किया। कार्यक्रम के समापन पर विद्यार्थियों में देशभक्ति, त्याग और नैतिक मूल्यों के प्रति जागरूकता स्पष्ट रूप से देखने को मिली।

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